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हिरण्यकशिपु नाम का एक राजा था

हिरण्यकशिपु नाम का एक राजा था

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उसने भगवन शिव का कठोर तप करके उन्हें प्रसन्न  किया

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उसने भगवन से वर प्राप्त किया कि

उसने भगवन से वर प्राप्त किया कि

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ना अंदर मरुँ  न बाहर, न भूमि पर मरुँ  ना आकाश में , न जल में  न थल में

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न अश्त्र से मरुँ  न शस्त्र से, ना मनुष्य से मरुँ  न पशु से

 

एक दिन प्रह्लाद ने कुम्हार के यहाँ आवे में लगी आग से बिल्ली के बच्चो को जीवित बचते हुए देखा लगा

जिसके बाद वह भगवान् को मानने, पूजा व् उन पर विश्वास करने लगा

जिसके कारण हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र को मारने का प्रयत्न किया